5 जून 2025 – श्रीराम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा: अयोध्या में लौटी आत्मा

राम दरबार प्राण-प्रतिष्ठा – अयोध्या की आत्मा का पुनर्जागरण

राम दरबार प्राण-प्रतिष्ठा – अयोध्या की आत्मा का पुनर्जागरण

5 जून 2025, अयोध्या: आज अयोध्या की धरती पर एक ऐसा क्षण घटित हुआ है, जिसने न केवल इतिहास को पुनर्जीवित किया, बल्कि करोड़ों सनातन भक्तों के हृदय में दिव्यता का संचार कर दिया। श्रीराम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही यह भूमि फिर से “राममय” हो उठी।

जब प्रभु श्रीराम सिंहासन पर आसीन होते हैं, तो केवल एक मूर्ति नहीं सजती, बल्कि एक भाव, एक संस्कार, एक संस्कृति की पुनर्स्थापना होती है।

अयोध्या के दिव्य मंदिर में आज जब राजा राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी के विग्रह स्थापित हुए, तो मानो समूची सृष्टि ने कुछ पल के लिए अपनी गति रोक दी। आकाश में शंखनाद गूंज उठा, भूमि पर भक्तों की आँखें सजल हो गईं। यह केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं थी — यह था आत्मा का पुनर्जागरण।

🚩 अयोध्या में आध्यात्मिक ऊर्जा की पुनर्स्थापना

वर्षों की प्रतीक्षा, संघर्ष और साधना के बाद वह क्षण आया जब अयोध्या की मिट्टी ने पुनः उस आभा को अनुभव किया जो त्रेतायुग में थी। राम दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा केवल एक मूर्ति स्थापना नहीं, यह एक युग की पुनरावृत्ति है। मानो श्रीराम स्वयं अपने दरबार सहित पुनः लोकहित में अवतरित हुए हों।

जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नेत्रोन्मिलन की क्रिया पूरी की, मंदिर परिसर की हर शिला, हर दीपक, हर वायु कण प्रभु श्रीराम की उपस्थिति से आलोकित हो उठा। यह दिन न केवल अयोध्या के लिए, बल्कि पूरे भारतवर्ष के लिए आध्यात्मिक विजय का उत्सव बन गया।

🌿 सीएम योगी आदित्यनाथ: एक संन्यासी, एक सेवक, एक प्रतिष्ठापक

संयोग देखिए – आज जब प्रभु श्रीराम के दरबार की प्राण-प्रतिष्ठा हुई, वही दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का जन्मदिन भी था। एक संन्यासी मुख्यमंत्री के रूप में जब उन्होंने राम दरबार से आवरण हटाया और नेत्रोन्मीलन की प्रक्रिया पूरी की, तो ये क्षण इतिहास बन गया।

न केवल प्राण-प्रतिष्ठा, बल्कि अयोध्या का आध्यात्मिक गौरव लौटाने में उनका योगदान अमिट है। दीपोत्सव से लेकर मंदिर निर्माण तक – हर कदम उन्होंने सेवा भाव से आगे बढ़ाया है।

🌼 रामराज्य की पुनर्स्थापना: आस्था से आत्मनिर्माण तक

जब प्रभु श्रीराम अयोध्या में लौटते हैं, तो सिर्फ मूर्ति नहीं आती — उनके साथ आता है धर्म का मार्ग, नीति का संदेश, और एक नए भारत की चेतना। राम दरबार की स्थापना केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उस आत्मा का पुनर्जागरण है, जिसे सदियों तक नकारा गया।

जो दरबार कभी लोककथाओं में था, आज वो यथार्थ बनकर अयोध्या में खड़ा है। यह हमारी सनातन संस्कृति की सबसे बड़ी जीत है। यह एक आह्वान है — कि अब भारत को फिर से रामराज्य की ओर ले जाना है।

💫 अंत में एक भावुक प्रण

जब राम दरबार अयोध्या में प्रतिष्ठित होता है, तो वो हमें सिर्फ स्मरण नहीं कराता — वो हमें प्रेरित करता है। वो कहता है कि सच्चाई के लिए, धर्म के लिए, और आत्मसम्मान के लिए खड़ा होना ही जीवन का उद्देश्य है।

जो अयोध्या कभी राम की प्रतीक्षा कर रही थी, आज वहीं राम स्वयं विराजमान हैं। और अब यह हमारा उत्तरदायित्व है कि हम राम को केवल मंदिरों में नहीं, अपने चरित्र में भी प्रतिष्ठित करें।

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✍️ अभिजीत गुरु | संपादक, NewBharat1824.in

📘 5 जून 2025 – आज राम दरबार प्राण-प्रतिष्ठा – अयोध्या की आत्मा का पुनर्जागरण

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