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अप्रैल, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मोदी जी ने सेना को दी खुली छूट – अब होगा एक-एक कतरे का हिसाब!

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दुनिया शर्मिंदा है, पाकिस्तान अब भी बाज नहीं आ रहा अब चुप रहने का समय नहीं: पाकिस्तान की हरकतों पर मुस्लिम समाज भी शर्मिंदा जब पाकिस्तान की सरज़मीं से धर्म के नाम पर जहर फैले, और निर्दोषों को सिर्फ *‘धर्म पूछकर’* मारा जाए — तब सवाल सिर्फ एक देश का नहीं, बल्कि पूरी इंसानियत का होता है। PAHALGAM हमले में हिंदुओं को टारगेट करना इस बात का संकेत है कि कट्टरता ने सीमा लांघ दी है। पर इस बार खास बात ये है — दुनिया के मुस्लिम बौद्धिक वर्ग से लेकर ग्लोबल इस्लामिक स्कॉलर्स तक, सबने पाकिस्तान की इन हरकतों को गलत ठहराया है। क्या ये बदलाव की शुरुआत है? क्या मुस्लिम समाज अब उस आईने को देखने को तैयार है जिसमें पाकिस्तान की सच्चाई दिखती है — *भीख मांगने वाला राष्ट्र, धर्म के नाम पर आतंक फैलाने वाला गंदा चेहरा*? पाकिस्तान: धर्म के नाम पर शर्मनाक प्रदर्शन चाहे U.N. हो या अरब देश, हर जगह से पाकिस्तान को लेकर नकारात्मक सुर गूंज रहे हैं। और ये पहली बार है जब **पाकिस्तान के पक्ष में खड़े होने वाले देश भी अब उससे दूरी बना रहे हैं**। ...

बिहार का बेटा, देश का गौरव

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Vaibhav Suryavanshi: 35 गेंदों में 100 रन! जिया हो बिहार के लाला! 14 साल के वैभव सूर्यवंशी ने रच दिया इतिहास IPL 2025 में कुछ ऐसा हुआ जो क्रिकेट इतिहास में दर्ज हो गया। महज़ 14 साल का एक लड़का, वैभव सूर्यवंशी , जिसने महज़ 35 गेंदों में 100 रन बनाकर सबको हैरान कर दिया। "बिहार के लाल ने बल्ले से तूफान ला दिया — यह सिर्फ एक शतक नहीं, एक संदेश है कि सपने उम्र नहीं देखते।" मैच का पूरा हाल राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हुए, वैभव जब क्रीज पर आए तो टीम को तेजी से रन चाहिए थे। लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि ये बच्चा तूफानी अंदाज़ में सिर्फ 35 बॉल पर सेंचुरी ठोक देगा। दर्शक दीवाने हो गए, कमेंटेटर खड़े होकर तालियाँ बजाने लगे। कौन है वैभव सूर्यवंशी? बिहार के छोटे से गाँव से आने वाला यह लड़का बचपन से ही क्रिकेट का दीवाना था। कठिनाइयाँ झेलीं, लेकिन सपनों को कभी मरने नहीं दिया। आज उसका नाम पूरे देश में गूंज रहा है। सोशल मीडिया पर बवाल मैच के बाद ट्विटर, फेसबुक, और इंस्टाग्राम पर #VaibhavSuryavanshi ट्रेंड करने लगा। एक यूजर ने...

जिया हो बिहार के लाला! 35 गेंदों में 100 रन — क्रिकेट को मिली देशभक्ति की नई परिभाषा

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जिया हो बिहार के लाला! 35 गेंदों में 100 रन जिया हो बिहार के लाला! 35 गेंदों में 100 रन — क्रिकेट को मिली देशभक्ति की नई परिभाषा IPL 2025 का वो पल, जब बिहार के लाल ने 35 गेंदों में शतक जड़ दिया — न सिर्फ एक खिलाड़ी उभरा, बल्कि एक राज्य की उम्मीदें बल्ले से गूंज उठीं। यह कोई आम पारी नहीं थी। यह थी एक आवाज़ — उन करोड़ों युवाओं की जो अवसर के भूखे हैं, पर मेहनत में यकीन रखते हैं। भारत को मिला नया हीरो जब वैभव सूर्यवंशी (नाम काल्पनिक) ने राजस्थान रॉयल्स की जर्सी में मैदान पर कदम रखा, तब शायद किसी को अंदाज़ा नहीं था कि अगले 45 मिनट में वह आईपीएल इतिहास को दो हिस्सों में बांट देगा — शतक से पहले और शतक के बाद। क्रिकेट से बड़ी यह कहानी यह पारी सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं थी, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पलटवार थी। जिस बिहार को वर्षों तक मज़दूरों के राज्य के रूप में देखा गया, उसने आज दुनिया को दिखा दिया कि **हम सिर्फ निर्माण नहीं, नेतृत्व भी करते हैं**। बिहार के गांवों से निकलने वाला यह युवक आज हर न्यूज़ चैनल, हर सोशल मीडिया पोस्ट और हर दिल की धड़कन बन च...

नेहा की चूक: कला और एजेंडे का अंतर भूल जाना

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लोकगीत से लेकर लज्जा तक का सफर: कहाँ चूक गईं नेहा? लोकगीत से लेकर लज्जा तक का सफर: कहाँ चूक गईं नेहा? कभी लोकगीतों से बिहार और पूर्वांचल के गाँव-गाँव में पहचान बनाने वाली नेहा सिंह राठौर आज एक ऐसे मोड़ पर आ चुकी हैं जहाँ उनके गीतों से ज़्यादा उनके विवादों की चर्चा हो रही है। सवाल उठता है: आखिर किस मोड़ पर नेहा का ये सफर लोकगाथाओं से फिसल कर 'लज्जा' की कहानियों तक पहुँच गया? नेहा का आरंभिक दौर: जब सुरों में था संघर्ष का संगीत नेहा ने अपने गीतों के जरिये आम जनता की आवाज को उठाया था। उनके शब्दों में दर्द था, संघर्ष था और व्यवस्था से सवाल पूछने की ताकत थी। 'बिहार में का बा?' जैसा लोकगीत लोगों की जुबान पर चढ़ गया। यही उनकी पहचान भी बनी। लेकिन फिर, बदलाव आया... समय के साथ, विरोध के नाम पर नेहा का रुख कुछ ऐसा हो गया जिसमें आलोचना से ज़्यादा एकतरफा राजनीति की झलक मिलने लगी। गीतों में संवेदना कम और सनसनी ज़्यादा दिखने लगी। जनता के मुद्दों की बजाय व्यक्तिगत एजेंडा हावी होने लगा। पाकिस्तान में वायरल होना — संयोग या प्रयोग? जब किसी भारतीय कलाकार के गीत पाकिस्तान...

पाकिस्तान की गिरी हुई साख: विश्व नेताओं ने दिखाया आईना | New Bharat 1824

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पाकिस्तान: आतंकवाद का वैश्विक पोषक - पहलगाम हमले की कहानी पहलगाम आतंकी हमला: पाकिस्तान के मुखौटे से उठता सवाल 22अप्रैल 2025 को कश्मीर के मनोरम पहलगाम रिसॉर्ट में हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। अब सवाल यही है — कब तक पाकिस्तान आतंकवाद का पोषण करता रहेगा और दुनिया चुप बैठी रहेगी? अंतर्राष्ट्रीय आरोपों की बौछार विश्व के 9 प्रमुख राष्ट्रों ने सीधे तौर पर पाकिस्तान को आतंकवाद का संरक्षक घोषित किया है: संयुक्त राज्य अमेरिका भारत फ़्रांस जर्मनी इज़राइल अफ़ग़ानिस्तान ईरान बांग्लादेश यूनाइटेड किंगडम "पाकिस्तान में आतंकवाद के लिए सुरक्षित ठिकाने अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए गंभीर खतरा हैं" - यूएस स्टेट डिपार्टमेंट पाकिस्तान का आतंकी पोर्टफोलियो फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) की ग्र...

पाकिस्तान का घिनौना सच: वैश्विक मंच पर हो रही खुली बेइज्जती | New Bharat 1824

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पाकिस्तान का घिनौना सच: दुनिया के सामने हो रही खुली बेइज्जती! Search Description: पाकिस्तान का आतंक का समर्थन अब दुनिया भर में बेनकाब हो चुका है। जानिए कैसे अमेरिका, रूस, भारत, और कई देश पाकिस्तान को थूक चुके हैं और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदा कर दिया है। भूमिका: अब बर्दाश्त नहीं! कई दशकों से पाकिस्तान आतंकवाद का पोषक बना रहा। मगर अब वक़्त आ गया है जब पूरी दुनिया ने उसकी असलियत को पहचान लिया है। एक-एक कर हर बड़ा देश पाकिस्तान की पोल खोल रहा है और उसे वैश्विक मंच पर बेइज्जत कर रहा है। अब समय है सच्चाई को उजागर करने का — जोरदार तरीके से! कैसे दुनिया ने पाकिस्तान को नकारा? भारत: पहली चोट भारत ने हमेशा पाकिस्तान की नापाक हरकतों का डटकर मुकाबला किया। पहलगाम आतंकी हमला के बाद भारत ने पूरी दुनिया को पाकिस्तान के आतंकी चेहरे से रूबरू कराया। सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर कूटनीतिक अलगाव तक, भारत ने एक भी मौका नहीं छोड़ा पाकिस्तान को घुटनों पर लाने का। अमेरिका: सहायता रोकी और ललकारा कभी पाकिस्तान का तथाकथित सहयोगी रहा अमेरिका अब खुलकर पाकिस्तान की निंदा कर चुका है। अरबों ड...

पहलगाम हमला: पीएम मोदी की चेतावनी - आतंकियों को मिट्टी में मिलाओ | New Bharat 1824

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26 अप्रैल, 2025: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बर्बर आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। निर्दोष हिन्दू तीर्थयात्रियों को केवल उनके धर्म के आधार पर निशाना बनाना इंसानियत के खिलाफ जघन्य अपराध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कायराना हरकत के खिलाफ सख्त चेतावनी देते हुए कहा है, " आतंकियों को अब मिट्टी में मिला दिया जाएगा। " सरकार ने साफ कर दिया है कि अब आतंक के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का वक्त आ गया है। आतंकवाद पर भारत का नया रुख पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार ने सुरक्षा बलों को फ्री हैंड दे दिया है। ऑपरेशन ऑलआउट फिर से तेज कर दिया गया है। पीएम मोदी का सख्त संदेश है कि आतंकवाद के समर्थकों और उनके संरक्षकों को भी बख्शा नहीं जाएगा। जनता का गुस्सा और समर्थन देशभर में इस कायराना हमले के खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा है। सोशल मीडिया पर #JusticeForPahalgamVictims ट्रेंड कर रहा है। आम जनता भी अब निर्णायक कार्रवाई की मांग कर रही है। यह समय है आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने का। अब न कोई रहम, न कोई सहनशीलता। जो भी इस जहरीली सोच का समर्थन करता है, उसे उसी...

2025 का सबसे दर्दनाक सच: क्या आप हिन्दू हैं? पूछकर गोली मार दी गई!

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धर्म पूछकर मारा गया! | पाहलगाम आतंकी हमला धर्म पूछकर मारा गया! | पाहलगाम आतंकी हमला 2025 की गर्मियों में जब देश चुनाव और विकास की बात कर रहा था, तब कश्मीर की वादियों में एक और दिल दहला देने वाला हमला हुआ — पाहलगाम में आतंकियों ने एक हिन्दू युवक को सिर्फ इसलिए मार डाला क्योंकि वह हिन्दू था। जी हां, धर्म पूछकर मारा गया! हमसे Facebook पर जुड़ें सवाल उठते हैं... क्या आज भी भारत में किसी की जान सिर्फ उसके धर्म के कारण ली जा सकती है? क्या कश्मीर में वो नफरत आज भी जिंदा है जो 1990 के दशक में हिन्दुओं को पलायन पर मजबूर कर चुकी थी? ये हमला नहीं, चेतावनी है! ये सिर्फ एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, ये हर हिन्दू, हर शांतिप्रिय नागरिक को दी गई एक चेतावनी है — कि आतंक अब धर्म पूछकर मारता है, और हमारा मौन उसे ताकत देता है। आख़िर कब तक? हम कब तक मौन रहेंगे? क्या एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में ये मंजूर किया जा सकता है कि किसी की पहचान उसकी मौत का कारण बन जाए? अब समय है जिहादी सोच के खिल...

पहुलगाम आतंकवादी हमला: जब धर्म पूछा गया और गोलियां चलीं

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पहुलगाम आतंकवादी हमला: जब धर्म पूछा गया और गोलियां चलीं पहुलगाम का दर्द: जब धर्म पूछा गया और हिंदू होना जुर्म बन गया कश्मीर घाटी की खूबसूरती के बीच एक बार फिर गोलियों की आवाज़ गूंज उठी। 22 अप्रैल 2025 को पहुलगाम, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस बार निशाना वे थे जो सिर्फ हिंदू थे — उनका सिर्फ एक ही जुर्म था: उनका धर्म। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हमलावरों ने लोगों से "तुम्हारा धर्म क्या है?" पूछा और फिर पहचान होते ही गोली चला दी। एक निर्दोष टैक्सी ड्राइवर और एक स्थानीय तीर्थयात्री की मौके पर ही हत्या कर दी गई। ये हमला सिर्फ कुछ लोगों पर नहीं, पूरे भारत पर हमला है ये वारदात सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक सोच का प्रतीक है — वह सोच जो धर्म के आधार पर समाज को बांटती है, और आतंक को औजार बनाकर डर का साम्राज्य कायम करना चाहती है। इस दर्द को अपनी आंखों से देखिए: पूरा सच जानने और देश की सच्ची रिपोर्टिंग देखने के लिए AI Samachar 24x7 को सब्सक्राइब करें। क्या ये खामोशी सही है? जहा...

सत्ता का रिपोर्ट कार्ड: 2024 के बाद क्या बदला, क्या बाकी है?

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सत्ता का रिपोर्ट कार्ड: 2024 के बाद क्या बदला, क्या बाकी है? प्रकाशित: NewBharat1824.in | अप्रैल 2025 "हर सरकार को चाहिए समर्थन, लेकिन ज़रूरी है मूल्यांकन भी।" वादों की बरसात, ज़मीन पर सन्नाटा? 2024 में सत्ता में आने वाली सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए थे — महंगाई पर काबू, नौकरियों की बहार, शिक्षा और स्वास्थ्य में क्रांति। लेकिन आज जब हम 2025 की चौखट पर हैं, सवाल उठते हैं: क्या रोजगार के वादे पर कुछ ठोस काम हुआ? महंगाई से राहत मिली या सिर्फ भाषणों में जिक्र? शिक्षा और स्वास्थ्य की नीतियों का असर आम जनता तक पहुंचा? जनता की नज़र से सच्चाई सोशल मीडिया पर नारों की गूंज है, लेकिन गांव-कस्बों में अब भी अधूरी सड़कें, खाली अस्पताल और बेरोजगारी की चिंता दिखती है। सवाल यह है — सरकार ने कितना डिलीवर किया? अब सिर्फ भावनाएं नहीं, फैक्ट्स देखिए राजनीति में भावनाएं ताकतवर होती हैं, लेकिन लोकतंत्र को ज़रूरत है आंकड़ों की, जवाबदेही की। 2025 का नागरिक अब हर नीतिगत कदम पर सवाल कर रहा है — और यही लोकतंत्र की असली ताकत है। NewBharat1824 की भूमिका: हम सरकारों की आ...

लोकतंत्र बनाम ड्रामेबाज़ी: एक जनचेतना

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लोकतंत्र बनाम ड्रामेबाज़ी: एक जनचेतना लोकतंत्र बनाम ड्रामेबाज़ी: एक जनचेतना प्रकाशित: NewBharat1824.in | अप्रैल 2025 "लोकतंत्र का मतलब सिर्फ वोट डालना नहीं, सही को सही और गलत को गलत कहना भी है।" ड्रामेबाज़ी का दौर: जब असली मुद्दे धुंधले हो गए आज की राजनीति में विचारधारा और सिद्धांतों की जगह भावनात्मक नाटकों ने ले ली है। नेतागण मंच पर संवादों का नाटक करते हैं, माइक पटकते हैं, और कैमरे के सामने आक्रोश दिखाते हैं। इन दृश्यात्मक घटनाओं में असली मुद्दे खो जाते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की बजाय जनता को भावनाओं में उलझा दिया जाता है। लोकतंत्र का असली उद्देश्य क्या है? लोकतंत्र का अर्थ है जनता की भागीदारी, उसकी राय और उसके सवाल। यह केवल चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें जनता का निरंतर जागरूक रहना भी शामिल है। सच्चे लोकतंत्र में नागरिक केवल दर्शक नहीं, बल्कि निर्देशक होते हैं। जनता की भूमिका: दर्शक नहीं, निर्देशक बनिए हां में हां मिलाना बंद करें: लोकतंत्र में सहमति से ज़्यादा ज़रूरी है सवाल ।...

2029 की तैयारी: युवा वोटरों की भूमिका और जिम्मेदारी

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2029 की तैयारी: युवा और चुनावी जिम्मेदारी प्रकाशित: NewBharat1824.in | अप्रैल 2025 "युवा सिर्फ भविष्य नहीं, वर्तमान का निर्णयकर्ता है।" भूमिका: 2024 में युवा वोटरों ने बड़ी भूमिका निभाई। लेकिन असली परीक्षा अब शुरू होती है — क्या 2029 तक वो सिर्फ ट्विटर योद्धा बने रहेंगे या ज़मीनी बदलाव का हिस्सा भी? युवाओं की ताकत: संख्या ही नहीं, सोच भी 2029 में लगभग 10 करोड़ युवा पहली बार वोट डालेंगे । ये संख्या सिर्फ आंकड़ा नहीं, एक राजनीतिक क्रांति बन सकती है। लेकिन शर्त ये है कि युवा सिर्फ "Memes" तक सीमित न रहें, बल्कि "Meetings" तक पहुंचे। जिम्मेदारी का विस्तार: छात्र राजनीति से शुरुआत करें कॉलेज, यूनिवर्सिटी में Student Union चुनाव सिर्फ पॉलिटिक्स की ट्रेनिंग नहीं — ये ही लोकतंत्र की जड़ें हैं। पंचायत और नगर निगम में भागीदारी बढ़ाएं हर गांव, हर वार्ड में युवाओं को चाहिए कि वो RTI डालें, योजनाएं पूछें, और खुद खड़े हों। सोशल मीडिया से ग्राउंड तक जाएं वायरल रील्स से बदलाव नहीं आता — जब तक पसीना गांव की मिट्टी में न गिरे। 2029: एक मोड...

नई सुबह, नया जनमत: 2024 से 2029 की ओर भारत का वोटर

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नई सुबह, नया जनमत: 2024 से 2029 की ओर भारत का वोटर | NewBharat1824.in नई सुबह, नया जनमत: 2024 से 2029 की ओर भारत का वोटर नई सुबह, नया जनमत: 2024 से 2029 की ओर भारत का वोटर प्रकाशित: NewBharat1824.in | अप्रैल 2025 "एक वोट सिर्फ बटन नहीं दबाता, वो देश की दिशा तय करता है।" भूमिका: 2024 – चेतना का एक नया मोड़ भारत ने 2024 में सिर्फ एक नई सरकार नहीं चुनी, बल्कि एक नया सोच अपनाया। पहली बार वोटरों ने वादों से ज़्यादा काम, चेहरों से ज़्यादा चरित्र, और नारों से ज़्यादा नीति को प्राथमिकता दी। लेकिन असली सवाल अब खड़ा होता है – क्या 2024 का जनमत सिर्फ एक चुनावी मूड था या एक दीर्घकालिक राजनीतिक जागरूकता की शुरुआत? 2024 का संदेश: अब जनता सिर्फ सुनती नहीं, सवाल भी करती है लाखों वोटरों ने पहली बार सोशल मीडिया के इतर RTI दाखिल किए, सांसदों से जवाब मांगा, और सरकारी योजनाओं की जमीनी सच्चाई ...

नई सुबह, नया भारत: 2024 के बाद की राजनीति और 2029 की तैयारी

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नई सुबह, नया भारत: 2024 के बाद की राजनीति और 2029 की तैयारी 19 अप्रैल 2025 – भारत अब महज़ एक देश नहीं, बल्कि एक चेतना बन चुका है। 2024 का चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, जनजागरण का प्रतीक था। "जब जनता जागती है, तब इतिहास बदलता है।" 2024 में भारत ने सिर्फ वोट नहीं डाले — देश ने चेतना का नया अध्याय शुरू किया। बड़े चेहरे गिरे, छोटे नामों को बड़ा मौका मिला। जनता ने कहा – “काम दिखाओ, वरना जाओ।” 2024: जनता की जीत, नारे की हार पहली बार जनता ने भाषणों से ज़्यादा ट्रैक रिकॉर्ड को तवज्जो दी। मतदाता अब जुमलों पर नहीं, साक्ष्य पर भरोसा करता है। "लोकतंत्र सिर्फ वोट डालना नहीं है, लोकतंत्र है हर दिन जवाबदेही माँगना।" अब सरकार की नहीं, जनता की बारी हर सांसद-विधायक का काम परखें RTI और सोशल मीडिया से सवाल पूछें फेक न्यूज को फैलने से रोकें युवा वर्ग लोकल नेतृत्व में भाग लें 2029 सिर्फ चुनाव नहीं – भारत के भविष्य की नींव है। क्या आप तैयार हैं? New Bharat 1824: आपकी आवाज़ हम सिर्फ खबर न...

नई सुबह, नया भारत: 2024 के बाद भारत में राजनीतिक बदलाव की दस्तक

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नई सुबह, नया भारत: 2024 के बाद भारत में राजनीतिक बदलाव की दस्तक नई सुबह, नया भारत: जब जनता जागेगी, तब बदलाव आएगा! 19 अप्रैल 2025 – भारत एक बार फिर बदलाव की दहलीज़ पर खड़ा है। चारों ओर शोर है – लेकिन अब ये शोर नहीं, एक स्पष्ट संदेश है। ये जनता की आवाज़ है, जो अब बदलाव की मांग कर रही है। राजनीति में विश्वास टूटता है, लेकिन उम्मीदें फिर जुड़ती हैं जब सरकारें जनता की नहीं सुनतीं, तो जनता बोलने लगती है। और जब जनता बोलने लगती है, तब देश की दिशा तय होती है। आज देश को न केवल एक ईमानदार नेतृत्व चाहिए, बल्कि एक जागरूक नागरिक भी चाहिए, जो सवाल पूछे और जवाब मांगे। आपका वोट, आपकी सोच, आपका भारत 2024 के चुनावों ने बता दिया है कि जनता अब समझदार हो चुकी है। अब सिर्फ नारों से बात नहीं बनेगी। अब चाहिए काम , विकास और न्याय । क्या आप तैयार हैं बदलाव के इस सफर में शामिल होने के लिए? हर खबर को सतर्कता से पढ़ें प्रचार और सच्चाई में फर्क समझें अपने वोट का सही उपयोग करें झूठ और नफरत फैलाने वालों को पहचानें Newbharat1824.in पर हम ...

उपराष्ट्रपति धनखड़: सुप्रीम कोर्ट से सीधी टक्कर लेने वाला वो 'किसान का बेटा' जिससे डरती है सिस्टम!

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Desh Ki Baat 1824 द्वारा पेश — भारत की वो खबरें जो छुपाई जाती हैं, अब सामने आएंगी! उपराष्ट्रपति धनखड़: सुप्रीम कोर्ट से सीधी टक्कर लेने वाला वो 'किसान का बेटा' 🔥 उपराष्ट्रपति धनखड़: सुप्रीम कोर्ट से सीधी टक्कर लेने वाला वो 'किसान का बेटा' जिससे डरती है सिस्टम! 🔥 🚨 ब्लॉग पढ़ने से पहले वार्निंग: अगर आपको लगता है कि उपराष्ट्रपति सिर्फ "रबर स्टैम्प" होते हैं, तो जगदीप धनखड़ आपकी सोच बदलने आ रहे हैं! 🎯 धनखड़ कौन? सिंपल भाषा में समझो! जन्म: एक साधारण किसान परिवार में, लेकिन हौसला इतना बड़ा कि आज सुप्रीम कोर्ट तक को चुनौती दे रहे! पढ़ाई: सैनिक स्कूल से पढ़े – यानी "डिसिप्लिन" इनके DNA में है! करियर: वकील → राजनीतिक मंत्री → राज्यपाल → उपराष्ट्रपति। "गाँव से राष्ट्रपति भवन तक का सफर!" 💥 3 बड़े धमाकेदार विवाद जिन्होंने हिला दी व्यवस्था! 1. "जस्टिस के घर से मिले करोड़ों... पर FIR नहीं? ये कैसा न्य...

Waqf संशोधन विधेयक 2024: धार्मिक अधिकारों पर सवाल या सुधार की कोशिश?

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Waqf संशोधन विधेयक 2024: धार्मिक अधिकारों पर सवाल या सुधार की कोशिश? Meta Description: Waqf Amendment Bill 2024 भारत की मुस्लिम धार्मिक संपत्तियों को लेकर बड़ा बदलाव लाता है। जानिए इसका असर, विवाद और संविधान से इसका संबंध। परिचय: भारत में धार्मिक स्वतंत्रता केवल एक संवैधानिक अधिकार नहीं, बल्कि देश की आत्मा है। इसी भावना के बीच Waqf (Amendment) Bill 2024 सामने आया है, जो मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों पर नए प्रावधान लाता है। इस विधेयक ने देशभर में बहस छेड़ दी है — क्या यह सुधार है या धार्मिक स्वायत्तता पर हस्तक्षेप? विधेयक के प्रमुख प्रावधान: गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: अब वक्फ बोर्डों में दो गैर-मुस्लिम और दो मुस्लिम महिलाओं को भी शामिल किया जाएगा। Waqf संपत्ति की पहचान का अधिकार: जिला कलेक्टर को Waqf संपत्ति की पहचान करने का अधिकार मिलेगा, न कि Waqf ट्रिब्यूनल को। दस्तावेजों की अनिवार्यता: संपत्ति को Waqf घोषित करने के लिए वैध दस्तावेज जरूरी होंगे। CAG द्वारा ऑडिट: Waqf संपत्तियों की ऑ...