लोकतंत्र बनाम ड्रामेबाज़ी: एक जनचेतना
लोकतंत्र बनाम ड्रामेबाज़ी: एक जनचेतना
प्रकाशित: NewBharat1824.in | अप्रैल 2025
"लोकतंत्र का मतलब सिर्फ वोट डालना नहीं, सही को सही और गलत को गलत कहना भी है।"
ड्रामेबाज़ी का दौर: जब असली मुद्दे धुंधले हो गए
आज की राजनीति में विचारधारा और सिद्धांतों की जगह भावनात्मक नाटकों ने ले ली है। नेतागण मंच पर संवादों का नाटक करते हैं, माइक पटकते हैं, और कैमरे के सामने आक्रोश दिखाते हैं। इन दृश्यात्मक घटनाओं में असली मुद्दे खो जाते हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की बजाय जनता को भावनाओं में उलझा दिया जाता है।
लोकतंत्र का असली उद्देश्य क्या है?
लोकतंत्र का अर्थ है जनता की भागीदारी, उसकी राय और उसके सवाल। यह केवल चुनाव तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें जनता का निरंतर जागरूक रहना भी शामिल है। सच्चे लोकतंत्र में नागरिक केवल दर्शक नहीं, बल्कि निर्देशक होते हैं।
जनता की भूमिका: दर्शक नहीं, निर्देशक बनिए
- हां में हां मिलाना बंद करें: लोकतंत्र में सहमति से ज़्यादा ज़रूरी है सवाल।
- सोशल मीडिया एक्टिविज्म से आगे बढ़ें: रील्स से रिएक्शन नहीं, रियलिटी बदलती है जमीनी भागीदारी से।
- लोकल से शुरुआत करें: ड्रामा को फॉलो करना छोड़िए — ग्राम सभा में जाएं, मुद्दों की मांग करें।
- वोट सोच समझकर दें: पार्टी की नीतियों और नेताओं के कामकाज पर नजर रखें।
राजनीति: तमाशा नहीं, सेवा होनी चाहिए
हमारे नेता क्या बोलते हैं — उससे ज्यादा ज़रूरी है वो क्या करते हैं। बजट कहां जाता है? योजनाएं कितनी लागू होती हैं? लोकल मुद्दे कौन उठाता है? यही लोकतंत्र के असली सवाल हैं।
जनता की जागरूकता कैसे बढ़ेगी?
जनता को शिक्षा और जानकारी की आवश्यकता है। स्वतंत्र मीडिया, सशक्त नागरिक संगठन और जागरूकता अभियानों के माध्यम से नागरिकों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों की जानकारी मिलनी चाहिए।
NewBharat1824 की अपील:
देश को एक्टिंग नहीं, जवाबदेही चाहिए। "हम यहां वोट डालने नहीं, व्यवस्था बदलने आए हैं।"
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