भारत में 150 से अधिक वैज्ञानिकों की रहस्यमयी मौत — यह एक हादसा है या किसी गहरी साज़िश का हिस्सा?
150 से अधिक वैज्ञानिकों की रहस्यमयी मौत – साज़िश या हादसा?
भारत में बीते कुछ वर्षों में 150 से अधिक वैज्ञानिकों की रहस्यमयी मौतें हो चुकी हैं। ये मौतें महज इत्तेफाक हैं या कोई गहरी साज़िश? यह सवाल अब आम जनता के मन में भी उठने लगा है।
रहस्यमयी परिस्थितियाँ
इनमें से अधिकतर मौतें दुर्घटनाओं, आत्महत्याओं या दिल के दौरे जैसे कारणों से बताई गईं, लेकिन जांचों में कई असामान्य बातें सामने आईं।
क्या ये सब एक पैटर्न का हिस्सा हैं? क्या भारत के वैज्ञानिक वैश्विक साज़िश का शिकार हो रहे हैं?
DRDO, ISRO और रक्षा परियोजनाओं से जुड़े वैज्ञानिक
कई वैज्ञानिक जो रक्षा अनुसंधान, परमाणु तकनीक, और अंतरिक्ष अभियानों से जुड़े थे — उनकी मौतों को विशेष रूप से रहस्यमयी माना गया।
इन मौतों ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कहीं ये राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी सूचनाओं को दबाने का कोई प्रयास तो नहीं?
सरकार और खुफिया एजेंसियों की चुप्पी
सरकारी स्तर पर इन मामलों पर सीमित या लगभग न के बराबर प्रतिक्रिया आई है। क्या यह चुप्पी एक गहरे रहस्य को छिपा रही है या बस सामान्य प्रशासनिक असावधानी है?
जनता को जागरूक होना होगा
अगर हम जागरूक नहीं होंगे, तो ये साज़िशें यूं ही चलती रहेंगी। PAHALGAM हमले की तरह ही इन वैज्ञानिकों की मौतें भी हमारी सामूहिक जिम्मेदारी हैं।
क्या कहते हैं आंकड़े?
RTI और स्वतंत्र पत्रकारों की रिपोर्ट के अनुसार, 2009 से 2024 के बीच 150+ वैज्ञानिक असामान्य हालातों में मारे गए।
क्या ये आंकड़े किसी बड़े खेल की तरफ इशारा करते हैं?
निष्कर्ष
हमें इन मौतों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह राष्ट्रीय चेतना का विषय है, न कि केवल व्यक्तिगत ट्रैजेडी।
जो कला जनक को जोड़ना चाहिए,
वही अब खुद की अनदूनी बन गई है।
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— अभिजीत गुरु | संपादक, NewBharat1824.in
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