One Nation One Election 2025: एक राष्ट्र, एक चुनाव की ओर बढ़ता भारत

One Nation One Election 2025: एक राष्ट्र, एक चुनाव की ओर बढ़ता भारत

One Nation One Election 2025: एक राष्ट्र, एक चुनाव की ओर बढ़ता भारत

जो भरा नहीं हो भावों से,
बहती जिसमें रसधार नहीं —
वह हृदय नहीं पत्थर है,
जिसको संदेश से प्यार नहीं!

भारत आज एक नए मोड़ पर खड़ा है — जहाँ राजनीतिक स्थिरता, विकास की गति, और राष्ट्रहित को एक साथ साधने की कोशिश हो रही है। और इसका रास्ता है: One Nation, One Election — एक ऐसा कदम जो भारत के लोकतंत्र को मजबूती, पारदर्शिता और कार्यक्षमता की दिशा में ले जा सकता है।

"एक राष्ट्र, एक चुनाव" सिर्फ एक राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की नींव है।

क्या है One Nation One Election?

One Nation One Election का मतलब है — पूरे देश में लोकसभा और सभी विधानसभा चुनाव एक साथ कराना। यह विचार भारत में नया नहीं है। 1952 से 1967 तक यही परंपरा थी। लेकिन बाद में राजनीतिक अस्थिरता और सरकारों के गिरने के कारण यह प्रणाली टूट गई।

सरकार का दृष्टिकोण: क्यों जरूरी है यह कदम?

  • विकास कार्यों में निरंतरता — बार-बार चुनावों से विकास रुक जाता है।
  • खर्च में भारी कटौती — चुनावों पर हजारों करोड़ खर्च होते हैं।
  • प्रशासनिक बोझ में कमी — पुलिस, शिक्षकों और प्रशासन की ड्यूटी बार-बार चुनावों में लगती है।
  • जनता का ध्यान मुद्दों पर केंद्रित — हर कुछ महीनों में चुनावी शोर नहीं, बल्कि नीति पर चर्चा हो।

विरोध का चेहरा: कांग्रेस और विपक्ष की मंशा

जहाँ सरकार इस बदलाव को राष्ट्रीय हित में देख रही है, वहीं कांग्रेस और कुछ विपक्षी दल इसमें अपनी राजनीतिक जमीन खिसकती देख रहे हैं। इनका डर है कि एकसाथ चुनावों से जनता का ध्यान जातिवादी, क्षेत्रीय मुद्दों से हटकर राष्ट्रनीति पर केंद्रित हो जाएगा।

कांग्रेस ने खुद 1983 में इस विचार का समर्थन किया था, लेकिन सत्ता से दूर होते ही इसे 'लोकतंत्र के खिलाफ' कहने लगी।

जनता की सोच: अब समय है एकजुट भारत का

जनता अब समझ रही है कि देश के पैसे और समय की बर्बादी बंद होनी चाहिए। One Nation One Election से जनता को न सिर्फ बेहतर शासन मिलेगा, बल्कि बार-बार के चुनावी माहौल से भी राहत।

New Bharat 1824 की राय:

हम मानते हैं कि यह कदम नया भारत बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह न सिर्फ राजनीतिक व्यवस्था को सुव्यवस्थित करेगा, बल्कि देश की जनता को भी एक नई शक्ति देगा — एक लक्ष्य, एक समय, एक चुनाव!


जो कला जनक को जोड़ना चाहिए,
वही अब खुद की अनदूनी बन गई है।

  • हर खबर को सतर्कता से पढ़ें
  • प्रचार और सच्चाई में फर्क समझें
  • अपने वोट का सही उपयोग करें
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— अभिजीत गुरु | संपादक, NewBharat1824.in

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